लखनऊ- मानस अमृत सेवा संस्थान की ओर से नजीरगंज डालीगंज में चल रही श्रीराम कथा के सातवें दिन शनिवार को आचार्य जितेंद्री जी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम हमारे आराध्य है हम सबके पालन कर्ता है। श्रीराम ऐसे हैं जिनसे काल भी डरता है। श्रीमद् भागवत कथा में वेद व्यास जी ने लिखा है कि सब कुछ राम के वश में ही है बाकी किसी के वश में नही है। अगर यह बात हम समझ जाये तो भक्ति अपने आप होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे श्रीराम में हमारी अखण्ड भक्ति होनी चाहिए। राम हम सबके आश्रय है।
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ही एक मात्र शरण है हम सबके रक्षक हैं। हमारे ठाकुर की यह विशेषता है वह सबको अपना लेते हैं। चाहे वह गरीब हो चाहे अमीर, चाहे भगवान को मानता हो चाहे न मानता हो, चाहे दुःखी हो या सुखी सबको मेरे भगवान पे्रम करते हैं। यह तो इंसान की मूर्खता ही है कि भगवान उसे अपनाते है लेकिन वह स्वयं भगवान से दूर भागता है।
भरत चरित्र की व्याख्या करते हुये आचार्य ने कहा कि चित्रकूट में जब श्री भरत जी श्रीराम को मनाने के लिए पहुंचे तो राम ने कहा कि आज भरत तुझसे मुझे ईश्र्या हो गयी है। अभी तक मेरे मन में अभिमान था कि जितना स्नेह गुरु मुझसे करते हैं उतना किसी से नही। लेकिन आज गुरु का भरत के प्रति प्रेम देखकर लगता है उतना मुझसे नही। गुरु का भरत के प्रति प्रेम देखकर राम गदगद हो गये। गुरु का भरत के प्रति प्रेम की व्याख्या करते हुये कहा कि गुरु वशिष्ठ जी राम से कहते हैं कि राम मेरी बुद्धि भरत के प्रेम में हो गई है, मै तो हार गया। उन्होंने कहा कि भरत जी सबके प्राण प्रिय हो गये। यदि राज्य ले लेते तो आज वो भरत नही होते। उन्होंने कहा कि जिसने जीवन में सत्संग गुरु कृपा प्राप्त की वह ह्दय के भीतर को देख सकता है। भरत जी ने गुरु कृपा प्राप्ति कि है। संसारी लोग इसे नही जान सकते। इसे सिर्फ साधक ही जान सकता है। उन्होंने कहा कि भरत को राज्य देने के लिए गुरु ने यहां तक कह दिया कि तुम्हे राज्य मिलने से तुम्हारे पिता स्वर्ग में भी प्रसन्न होंगे, सीता राम भी प्रसन्न हो जायेंगे, साक्षात भगवान और गुरु माता सभी चाहते हैं। लेकिन भरत जी ने राज्य को ठुकरा दिया। जिसको नही लेना तो नही लेना। उन्होंने कहा कि व्यक्ति जब लेता है तो लेने की कामना छिपी रहती है। कथा में अरुण शंकर शुक्ला ‘अन्ना’, कंचन शुक्ला, जगदीश अग्रवाल, किशन सिंह, डा0 बी0एन सिंह, डा0 अमित नागर आदि लोग मौजूद रहे।
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